आरती श्री सत्यनारायणजी की - लिरिक्स हिंदी में |Jogichandlyrics
आरती श्री सत्यनारायणजी की - लिरिक्स हिंदी में |Jogichandlyrics | सांग लिरिक्स | Hindi Bhakti Song
Aarti Shri Satyanarayan ji ki । Aarti Sangrah | Jogichandlyrics | सांग लिरिक्स |
आरती श्री सत्यनारायणजी की
जय लक्ष्मी रमणा, श्री जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी जय पातक हरणा।
रत्न जड़ित सिंहासन अद्भुत छविराजे।
नारद करत निरन्तर घण्टा ध्वनि बाजे।
प्रगट भए कलिकारण द्विज को दर्श दियो ।
बूढ़ो ब्राह्मण बन के कंचन महल कियो ।
दुर्बल भील कराल, जिन पर कृपा करी ।
चन्द्रचूड़ इक राजा, जिनकी विपद हरी।
वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा तज दीनी ।
सो फल भोग्यो प्रभुजी फिर स्तुति कीनी।
भवभक्ति के कारण छिनछिन रूप धरयो ।
श्रद्धा धारण कीन्हीं तिनको कारज सरयो।
ग्वालबाल संग राजा बन में भक्ति करी ।
मनवांछित फल दीन्हों दीनदयाल हरी ।
चढ़त प्रसाद सवायो कदली फल मेवा ।
धूप दीप तुलसी से राजी सतदेवा ।
श्रीसत्यनारायण जी की आरती जो कोई गावे ।
भगतदास सुख सम्पत्ति मनवांछित फल पावे।
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